Thursday, September 3, 2020

कंप्यूटर एवं नेटवर्क सुरक्षा - एक गहन निरीक्षण

कंप्यूटर एवं नेटवर्क सुरक्षा - एक गहन निरीक्षण

वायरस एवं सेंधमारी आक्रमण केवल सभी कंप्यूटर प्रयोगकर्ताओं बल्कि बड़े नेटवर्क, व्यापारिक एवं विभिन्न संस्थानों को भी क्षति पहुंचाते रहे हैं| कंप्यूटर को अंगीकार करते ही वायरस से उसकी सुरक्षा हमारी पहली चिंता बन जाती है| इस internet युग में वायरस आक्रमण किसी आतंकवाद अथवा घुसपैठी आक्रमण से भिन्न नहीं है| जब महत्त्वपूर्ण कार्य बाधित हो जाते हैं, लक्ष्यों की प्राप्ति और संवेदनशील सूचनाएँ खतरे में पड़ जाती हैं, एक भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है|
एक अवलोकन
सूचना तकनीक एवं इन्टरनेट के आने से कार्यशैली एवं योजना में व्यापक परिवर्तन हुआ है| कंप्यूटर न केवल एक उद्यमी के लिए अपितु एक विशेषज्ञ,  एक विद्यार्थी एवं एक गृहिणी के जीवन का भी अभिन्न अंग बन चुका है| हमारा कंप्यूटर लेने उद्देश्य क्या है? अपनी क्षमता, उत्पादकता एवं गुणवत्ता में विकास| परन्तु कई बार हम उस क्षण को कोसते हैं जब कंप्यूटर लिया था| अत्यंत विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब एक वायरस के कारण पूरा का पूरा नेटवर्क ही बंद हो जाता है... महत्त्वपूर्ण कार्य पीछे रह जाता है, Data Backup हमारा महत्त्वपूर्ण कार्य हो जाता है | फिर ठीक होने के बाद Data Restore करो| एक अवांछित तनाव अलग, ऊपर से कभी बॉस की डांट सुनो कभी बीवी की
Conclusion
चलिए हम स्वयं से पूछते हैं क्या यह आधुनिक तकनीकी उपकरण वास्तव में लाभकारी हैं या हमारे सीधे शांतिपूर्ण जीवन में आग लगा रहे हैं? क्या यह तकनीक एक दुधारी तलवार है जिसकी एक धार सदा हमारी ओर रहती है? यह भी हो सकता है कि हमें अत्यंत क्रन्तिकारी उपकरण प्राप्त हुए हैं परन्तु हमारा उन पर दृढ़ नियंत्रण नहीं है और यह उपकरण हमें ही क्षति पहुंचाते हैं|
यह अंतिम वाक्य उचित प्रतीत होता है| तो फिर गलती कहाँ हुई? समाधान क्या है?

आईये उससे पहले कुछ कटु सत्य एवं आश्चर्यजनक तथ्यों का अवलोकन करते हैं|
  • Windows केवल प्रयोगकर्ताओं की ही नहीं बल्कि वायरस आक्रमणकारियों एवं घुसपैठियों की भी पसंदीदा है
  • अधिकांश वायरस Windows को ही क्षति पहुंचाते हैं
  • अब तक लगभग 80,000 वायरस बनाये जा चुके हैं 
  • वायरस बनाने वालों को क्या लाभ होता है? क्या वे भंडारे में खाना खाते हैं?
    (यह एक अवधारणा है कि वायरस बनाने वाले Credit Card सूचना चुराने के लिए ऐसा करते हैं|) कुछ सीमा तक यह ठीक है किन्तु यह आटे में नमक के बराबर ही है
प्रस्तुत करने योग्य ऐसे बहुत से तथ्य हैं परन्तु आईये हम आगे समाधान की ओर बढ़ते हैं|

दुर्भाग्यवश, न केवल प्रयोगकर्ताओं बल्कि विशेषज्ञों में भी यह धारणा बन गयी है कि Anti-Virus हमारे कंप्यूटर, नेटवर्क और डाटा को सुरक्षित रखेगा| जबकि होता यह है कि कोई नया वायरस आता है तो हमारा यह कमांडो (मिट्टी का शेर) ही उसका सबसे पहला शिकार बनता है और हमें अपनी जान के लाले पड़ जाते हैं| हमारे कंप्यूटर की अधिकांश ऊर्जा और क्षमता (CPU & Memory Resources) का भरपूर, प्रयोगकर्ता से भी अधिक उपयोग यह Anti-Virus करता है, जैसे हमने कंप्यूटर लिया ही इसके लिए है| थोड़े-थोड़े अंतराल पर चेतावनी देकर हमें डराता रहता है| कार्य में सहायता कम, विघ्न अधिक उत्पन्न करता रहता है|

वास्तविक जीवन में सुरक्षा के व्यवहारिक उपाय
किसी परिणाम पर पहुँचने से पहले आईये हम अपना अन्तरावलोकन करें| कल्पना करें कि एक संस्थान में हमें सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था करनी है| हम एक सुरक्षा एजेंसी कि सेवाएँ लेते हैं| सुरक्षाकर्मी द्वार पर तैनात रहते हुए हर आने जाने वाले को रोक कर पहले उनकी पहचान सुनिश्चित करते हैं| सुरक्षाकर्मी संस्थान के नियमित सदस्यों के पहचान पत्र, आगंतुकों के नियुक्ति पत्र आदि का निरीक्षण करने के बाद ही प्रवेश की अनुमति देता है|

Anti-Virus की भूमिका भी एक सुरक्षाकर्मी जैसी है| अधिकांशतः कंप्यूटर प्रयोगकर्ता जानते हैं कि Anti-Virus समय-समय पर virus definitions अपडेट करता है| Virus Definitions में विभिन्न प्रकार के वायरस के सूचना एवं उन्हें हटाने की विधि होती है| इसका अर्थ यह हुआ कि हमारा सुरक्षाकर्मी सदस्यों की अपेक्षा अपराधियों की सूचना के आधार पर कार्य कर रहा है, समय-समय पर पुलिस विभाग से वांछित अपराधियों की सूचना प्राप्त करता है| Anti-Virus नियमित एवं विश्वस्त सदस्यों की पहचान सुनिश्चित करने की अपेक्षा आपराधिक तत्वों एवं आगंतुकों की पहचान उसी सूचना के आधार पर करता है| अगर कोई नया वायरस अथवा अपराधी आ जाए जिसकी सूचना पुलिस विभाग के पास भी नहीं हो तो उसे भद्र पुरुष मानकर उसे प्रवेश की अनुमति दे देता है| जब वह नया वायरस अथवा अपराधी प्रवेश के बाद विध्वंस कार्य आरंभ कर देता है तो हमारा यह सुरक्षाकर्मी सीटियाँ बजाता हुआ उसके पीछे भागता रहता है| समय-समय पर हमें चेतावनी देता रहता है और हमें भी लगता है कि हमारा सुरक्षाकर्मी अत्यंत सजग, समर्पित एवं अपने दायित्व के प्रति गंभीर है| मित्रों! एक अच्छा सुरक्षाकर्मी वह है जो ऐसी दुष्प्रवृत्तियों को संस्थान में प्रवेश से पूर्व निपट सके| सुरक्षा व्यवस्था अभेद्य होनी चाहिए| जहाँ तहाँ छिद्र होंगे तो सेंध लगाने वालों को निमंत्रण तो मिलेगा ही| इसलिए अच्छा है कि उन छिद्रों को बंद किया जाए, भेदियों पर नियंत्रण रखा जाए|

समाधान
Firewall
Internet से आप भली भांति परिचित हैं| साधारण शब्दों में Internet एक अत्यंत विशाल हाइवे की तरह है जिसमें यातायात के लिए 65,536 लेन होती हैं जिन्हें Port कहते हैं | हम internet पर जो भी काम करते हैं उसका data वैसे ही चलता है जैसे हाइवे पर ट्रैफिक अपनी उपयुक्त लेन में चलता है| आधी लेन आने वाले ट्रैफिक के लिए तथा आधी लेन जाने वाले ट्रैफिक के लिए| साधारणतया हम मात्र 40-50 लेन ही प्रयोग कर पाते हैं एवं बाकी 65,000 से भी अधिक खाली पड़ी लेन का दुरुपयोग वायरस इत्यादि करते हैं (सुनसान सडकों एवं उजाड़ इमारतें प्रायः दुष्ट प्रवृत्तियां ही करती हैं)| किसी संस्थान में जितने अधिक गेट होंगे सुरक्षा प्रबंध उतने ही दुष्कर होंगे| स्पष्ट है कि अगर ये खाली पड़ी लेन बैरियर लगा कर बंद कर दी जाएँ एवं प्रयोग में न आने वाले गेट बंद कर दिए जाएँ तो Internet से वायरस इत्यादि का कंप्यूटर में आने का मार्ग स्वतः ही बंद हो जायेगा| Firewall इसी सिद्धांत पर कार्य करती है| इसका अभिप्राय यह नहीं है कि मात्र Firewall से कंप्यूटर अथवा नेटवर्क पूर्ण रूप से सुरक्षित हो जाएगा, हाँ 50% सुरक्षा मात्र उपरोक्त विधि से हो जाती है|

Startup Programs
जब हम कोई Website देखते हैं तो क्षति पहुँचने वाले कुछ Programs, ActiveX Components, Script आदि अस्थायी फोल्डर (Local Settings\Temp अथवा Temporary Internet Files) में आ जाते हैं| कंप्यूटर बंद करने के बाद जब हम अगली बार उसे चलाते हैं तो Windows (सामान्य परिस्थितियों में) इन अस्थायी फोल्डर में पड़े हुए वायरस प्रोग्राम को स्वतः ही चला देती है जिसे न केवल आसानी से रोका जा सकता है बल्कि ऐसा भी किया जा सकता है कि कंप्यूटर बंद होते समय स्वतः ही यह  अस्थायी फोल्डर को साफ़ कर दे|

Protection of Removable Media (पेन ड्राईव की सुरक्षा)
जब हम Pen Drive Computer में लगाते हैं तो Windows Auto Play Feature उसे स्वतः ही चलाने का प्रयास करता है| कई वायरस इसी का लाभ उठा कर infection फैलाते है| वैसे तो Windows Auto Play Feature स्थायी रूप से निष्प्रभावी करने के लिए थोडा सा अभ्यास आवश्यक है, फिर भी साधारण विधि अपना कर Pen Drive का नियंत्रित प्रयोग किया जा सकता है:
  1. Pen Drive लगाते समय Shift Key दबा कर रखें
  2. 6-7 second के बाद दूसरी Shift Key दबाएँ और पहले वाली छोड़ दें
  3. यह प्रक्रिया दो बार दोहराएँ
  4. My Computer ओपन करें परन्तु Pen Drive Icon डबल क्लिक नहीं करें बल्कि address bar में टाइप करें
 Limited User Account
साधारणतया प्रयोगकर्ता Windows Administrator Group का सदस्य होता है जिसका अधिकार क्षेत्र व्यापक होने के कारण अति संवेदनशील भी होता है| अतः एक Limited User Account के अंतर्गत ही कंप्यूटर का प्रयोग करना चाहिए

Hidden Administrator Account

अब सबसे महत्त्वपूर्ण, संवेदनशील एवं रहस्यपूर्ण तथ्य, वह यह कि Windows XP में सामान्यतया एक गुप्त Administrator Account भी होता है जो Welcome Screen पर दिखाई नहीं पड़ता लेकिन होता है! निश्चय ही आप इसे देखना चाहेंगे|
  1. Right Click My Computer
  2. Click Manage
  3. Expand Local Users & Groups
  4. Click Users फोल्डर 
  5. दायें भाग में सबसे ऊपर Administrator दिखाई देगा सामान्यतया जिसका पासवर्ड भी खाली होता है| 
  6. सभी Windows बंद करके स्टार्ट मीनू पर क्लिक करें और Log Off करें
  7. अब Welcome Screen पर देखें क्या Administrator नाम अन्य यूज़र्स के साथ दिखाई दे रहा है?
  8. अगर नहीं तो दो बार Ctrl + Alt + Del karen
  9. यूज़र नेम Administrator टाईप करें
  10. पासवर्ड खाली छोड़ कर OK क्लिक करें
  11. अब आपके नेत्र खुल जायेंगे

Sunday, August 21, 2011

Among Four Pillars of Democracy in India - Indian Media Demeaning, Defacing, Fault Finder, reptiles always find a hole

I had written a post more than a year ago which was an alert for 3 of the four pillars of democracy i.e.
Politics, Press and Executive (mainly Police)...

Forecast on 4 Ps - Four Pillars of Democracy, Democratic India


I had an intuition from the divine sources and I expressed the same... Even to my surprise it happened the same way...

First media persons like Vir Sanghvi, Barkha Dutt etc. were exposed (for their lobbying activities in 2G scam)
Second, corrupt politicians like A Raja, Suresh Kalmadi, Kanimojhi, Dayanidhi Maran faced the music
At third, I had mentioned: Police will choose their friends and foes

Though Delhi Police committed a mistake: by first attacking on protestors, then arresting Anna Hazare. But the media is playing at the hands of corrupt politicians, using Delhi Police and misleading the public
which in my opinion a back-stabbing act by the media. Politically motivated media is trying to shoot 3 targets:
  1. Maligning The movement India Against Corruption
  2. Trying to further malign Delhi Police image by demeaning their report and to create a void between police and public
  3. Trying to dissuade public from coming forward in the movement against corruption

As per recent news by NDTV Delhi Police claimed that 35% crime has come down since the day sat on fast, indicating majority in movement are lumpen elements

  • In fact, thousands of policemen are pressed into service
  • Large number of people (already enthusiast against corruption) constant coverage by cameramen
  • A huge movement against corruption is enough to dissuade criminals to come out and carry out their activities
These are some realistic facts which do not raise doubt over what Delhi Police claimed 
    Its a warning for the reptile media which always finds a hole... this movement is at the call of Divine Powers... You can not change destiny scripted by God

    हवा तेज़ चलता है... टोपी सँभालो... उड़ जायेगा

    जय हिंद
    अशोक
    सत्यमेव जयते

    Saturday, August 20, 2011

    Jan Lokpal Bill - Jan Lokpal Bill – Standing Comitte Invites Memoranda, Trapped

    Refer to the notification regarding inviting memoranda containing views / suggestions from individuals / organizations interested in the subject matter of the Jan Lokpal Bill and also to hear select oral evidence on the subject matter of the bill

    The UPA government which has been functioning as a dictator and taking arbitrary decisions, appointed First Woman President completely ignoring the public mandate (refer the statement of Mr. Pranab Mukherjee, "Do not go by SMS polls and popularity ratings. The people of India don't elect the President, it is the elected representatives who elect him"
    Take a note that, people of India elected those representatives to voice their opinions at parliament and to take decisions in the interest, welfare and growth of the nation. Those representatives had no reluctance in taking undue advantage of the designation, privilege, rights and power which people of India granted having full faith in democracy. These representatives had cheated poor and innocent people of India and took arbitrary decisions at their own will and only in their vested individual or party interests.
    आप बताएं कि इन जन प्रतिनिधियों पर पद एवं अधिकार के दुरूपयोग तथा जनता के साथ विश्वासघात का मुकद्दमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए

    Though there are many more references on record, but just this one is mentioned for the sake of lack of time. In the light of such past arbitrary acts of these representatives, the standing committe must first clarify how and why should people of India trust the honesty and transparency of this initiative of inviting memoranda from the public.

    If the government has really sincere, serious, honest and transparent views, it must first revoke the election of First Woman President, or ensure that the Election of President 2012 onwards will be by the people of India then talk about inviting memoranda from people of India.

    In fact, the government is of the ideologies that:
    People of India were gifted to 10, Janpath as economic slaves by british government at the time of Independence on day 15th August 1947

    Please furnish your reply within 7 days. Also take a serious note that:
    • Entire correspondence is published on various blogs, social sites and search engines across internet, keeping full transparency for the people of India whom the government is once again trying to deceive.
    • Concerned authorities will be declared Absconders in the event of non-reply

    जय हिंद
    अशोक
    सत्यमेव जयते

    Thursday, August 18, 2011

    Electoral Reforms - India Presidential Elections 2012 Notice to Election Commission

    Following is the correspondence with Election Commission of India

    The email sent to Chief Election Commissioner of India was also sent as CC to the given email address and all Chief Electoral Officers as well as to feedbackeci@gmail.com but the latter bounced back including from some more mailboxes
    The problem with the deaf authorities is:
    1. They are not even aware of whether their mailboxes are functioning properly. Several emails sent to the given email address were bounced back
    2. Most authorities believe they are doing their duty as best as they can but they don't even know what their duty इस
    This message is addressed to feedbackeci@gmail.com and CC: Chief Election Commissioner, Chief Electoral Officers of all states, Supreme Court of India and Delhi Police Commissioner. In future no message will be sent to non-functioning email addresses. Be informed that the movement towards electoral reforms is also started.
    1. Next presidential elections must be by the People of India, not by the electoral college
    2. Key Ministerial election by public
    3. Polling mandatory for all with additional choice as "None of These"
    4. An autonomous body as representative for those who vote for "None of These"
    5. Right to Recall
    Otherwise presidential election will be challenged in the courts. The above must be effective in the next state assembly elections as well.
    Election Commission must convey its notification in this regard before Sept. 2nd 2011
    जय हिंद
    अशोक
    सत्यमेव जयते

    All fellow Indians are requested to refer this to friends, social sites and to send the copy of the same by post to Election Commission of India and Supreme Court of India
    --------------------------------------------------------
    Must read the first notification sent to Election Commission of India on Aug 16th 2011:
    Following is the reply from Election Commission of India to the first notification:

    On Thu, Aug 18, 2011 at 2:16 PM, Election Commission of India wrote:
    Sir,
    Kindly refer to your mail addressed to Dr. S.Y.Quraishi, Chief Election Commissioner of India. In future you may send your feedback on this email id only.
    Thank You

    Monday, August 15, 2011

    Independence and Democracy of India, Notice to Election Commission on Electoral Reforms

    Dear Sir,

    Please review the attached document which is the copy of a letter from ex Chief Election Commissioner to The Prime Minister of India, sent on July 5 2004.

    You are requested to publicize the following:

    1. Why this letter should have been written to The Prime Minister who is supposed to contest election?
    2. Does it seem to be logical that the candidates are requested for the needed reforms in the examination?
    3. It may be constitutional but if it is so, then it is quite ridiculous and illogical procedure
    4. Its been 7 years since this letter was sent what steps have been taken by you for the electoral reforms proposed by your Election Commission?
    5. Did the first sikh prime minister ever bother to reply to the same?
    6. What was the correspondence held on the subject?
    A sincere and timely reply would strengthen the trust people of India have in the democracy.

    Should concerned authorities be declared ABSCONDER in the event of No-reply within 15 days?
    जय हिंद
    अशोक
    सत्यमेव जयते
    Email To: Chief Election Commissioner, CC: Chief Electoral Officers of all states, Supreme Court of India, Delhi Police and many more

    Sunday, August 14, 2011

    on India Independence Day economic slave challenging constitution, finance minister - support Anna Hazare India Against Corruption

    Mr. Finance Minister,

    You said Anna Hazaare challenging the constitution...

    I am a common man, not associated with India Against Corruption, not a great personality like Anna Hazaare and not an influential person like you... yet

    I openly challenge the electoral process... and the mandate you parliamentarians, including the first sikh prime minister and the first women president have. Your UPA government has only 13% votes at most...
    Be realistic about the facts Mr. Mukherjee

    Those who did not cast their vote, they are more than 50% in figures. For many years they have been completely ignored by the parliament, by the election commission and by The Supreme Court of India as well...

    If the system did not care for them, how does any act apply on them?
    How and why are they liable to pay taxes (read your salaries)?

    How and why do you have any right to rule over them?

    And even those who did cast their vote, had only elected Municipal Councillors, MLAs and MPs... they had not elected ministers, finance minister, first sikh prime minister and the first woman president... All of them deceitfully became ministers, prime minister or first woman president... their election is unconstitutional.

    by the way don't forget to review this post once again which was published more than a year ago...

    Forecast on 4 Ps – Four Pillars of Democracy, Democratic India


    and its happening the same way... The fate of all has been scripted by the Divine Souls... Nobody can change it

    जय हिंद

    अशोक
    सत्यमेव जयते
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    This message was sent by email to finance minister and CC: Chief Election Commissioner, Chief Electoral Officers of all states, Supreme Court of India

    Saturday, August 13, 2011

    democracy of India - On Independence Day, Economic Slaves must join India Against Corruption

    This is exclusively published to show the global image of India to the Hon'ble Authorities of Supreme Court of India who are indirectly responsible for this Contempt to Mankind and the so-called shameless authorities of this crippled system who are directly responsible for this Contempt to Mankind

    Recently I found a website displaying images of Indian poverty (read Economic Slaves of India). You would be thinking we have been such images for many years so why did I write the same again.

    India gained independence... This is an Official & Historic fact

    But it didn't become free from the Ideology which the new rulers inherited from British rule and are obsessed with the same ideology even after 64 years...  Independence was only a shift from British Rule - to - 10, Janpath.  This is another fact.

    Correct interpretation would be, "Out of frying pan, into the fire."

    Review the following images and don't miss until the last one:

    Eating at the dump - Shame to the inhuman society


    Future of The Nation


    Future of The Nation



    Future of The Naiton - delighted to find something

    Their hopes are in waste

    Future of India - happier than swiss bank account holders

    Burning Within - A warning for the inhuman being - Wish he grows up as a dutiful citizen

    5 valuable votes for rahul gandhi


    Eating at the dump - Shame to the inhuman society

    India has less inflation as compared to other foreign nations
    - India Finance Minister



    Politicians snatched his food

      आम आदमी के बदते कदम... हर कदम पर भारत बुलंद
    aam aadmi ke badate kadam... har kadam par Bharat buland

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    India spends at least 5% life while standing in queue

       एक माँ के कलेजे के टुकड़े... राहुल की सत्ता की सीदी

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna

    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna


    Eating at the dump - Shame to the inhuman society


    Eating at the dump - Shame to the inhuman society

    Dogs can get better food in India



    भारत निर्माण का सपना बुना... तरक्की हुई कई गुणा !
    Bharat nirmaan ka sapna buna... tarakki hui kai guna



    A picture by a well known columnist mayank austen soofi... who has got copyrights protected? mayank or filckr?

    Adding to the woes of Indian poverty, somebody either filckr or mayank has copyrights reserved for this last image which is published on this website: http://www.flickr.com/photos/mayankaustensoofi/330760443/

    This fellow called mayank austen soofi is a columnist of hindustan times and rediff... well known sycophant media of 10 janpath

    Isn't it a slap on the face of 64 years of Independence of Mother India?
    Whom do you think is responsible for this? Those who copyrighted this image or
    Those who put people of India in such conditions?
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    Refer this post to people you know and join hands against this crippled system...
    We must do our duty for the nation before its too late...
    This crippled system does not understand the peaceful protests...
    It must be challenged in the courts now

     लातों के भूत बातों से नहीं मानते